इस शहर की रवायतें, परंपराएं और पौराणिक विरासत को कोई भी दूसरा शहर चुनौती नहीं दे सकता। यह शहर हर आने वाले को ऐसे अनुभवों से नवाजता है कि सामने वाले की सांसें थमी सी रह जाती हैं। गंगा के घाट की सुबह तो कभी भी नहीं भूली जा सकती है। उदय होते सूरज की किरणें गंगा के पानी से अठखेलियां करती हुईं उसके तटों, मंदिरों और मठों को नहलाती सी लगती हैं। आत्मा को भीतर तक झंकृत कर देने वाले मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण, हवा में तैरती अगरबत्तियों की सुगंध मन को तृप्त कर देती है। ऐसे जादुई माहौल के बीच गंगा के पवित्र पानी में डुबकी मानो एक नया जीवन लेकर आती है। इस माहौल को और भी सम्मोहक बनाता है यहां के कण-कण में फैला गीत-संगीत, कला और साहित्य का अद्भुत संगम। सच में.… यह एक ऐसा शहर है जहां अनुभव और कुछ नया खोजने का जुनून एक नए संसार की रचना करता है।
गंगा महोत्सव
यह अपनी तरह का अकेला और अनूठा आयोजन है, जो मंदिरों, घाटों और परम्पराओं के इस शहर के आकर्षण को दोगुना कर देता है।
इसके आयोजन के दौरान शहर की आबो-हवा में शास्त्रीय संगीत मानो रच-बस जाता है। यह वातावरण को ऐसे रहस्य का आवरण देता है जहां हरेक को स्वार्गिक और दिली संतुष्टि की अनुभूति होती है। खास बात यह है कि शास्त्रीय संगीत की यह धारा संगीत घरानों के दिग्गजों के दिल से आती है। यह ऐसा अनुभव है जिसे जीवन पर्यन्त भुलाया नहीं जा सकता। इस पांच दिवसीय गंगा महोत्सव का प्रमुख आकर्षण विश्वास और संस्कृति का अद्धभुत संगम हैं। जिसे और भी बढ़ाने का काम करता है इस दौरान लगने वाला शिल्प मेला और अनूठी देव दीपावली का आयोजन। देव दीपावली कार्तिक की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन मिट्टी के अनगिनत दीये श्रृंखलाबद्ध्ध तरीके से पानी में तैरते हुए गंगा के जादुई आभास को और बढ़ाते हैं।
बौद्ध महोत्सव
मानव जाति को भगवान बुद्ध के रूप में एक सर्वकालिक और महान आध्यात्मिक गुरु भारत ने दिया है। इस सच्चाई के आलोक में इतिहासकार एडविन अर्नाल्ड अगर उन्हें 'लाइट ऑफ एशिया' कहते हैं तो कतई गलत नहीं है। बुद्ध की शिक्षा भारत के अलावा अन्य देशों की सीमाओं को पार कर लाखों लोगों के दिल और दिमाग को झंकृत करती है।
इस महोत्सव का आयोजन भगवान बुद्ध के जन्म को परंपरागत और धार्मिक संदेशों के अनुरूप मनाने के लिए किया जाता है। सारनाथ में इस अवसर पर एक बड़ा मेला लगता है। मई के महीने में लगने वाले इस मेले में बुद्ध की निशानियों को आम लोगों के दर्शन के लिए सार्वजनिक किया जाता है। लाखों दिये इस दिन के आकर्षण को और बढ़ाते हैं,जिन्हें मूलगंध कुटी विहार में करीने से रखा जाता है।
कजरी महोत्सव (मिर्जापुर)
मिर्जापुर के बेहद लोकप्रिय त्योहारों में से यह एक है।पूरे भारतवर्ष में पूजी जाने वाली कजरी का जन्म यहीं हुआ था। राजा कंटित नरेश की पुत्री कजरी अपने पति से बेहद प्रेम करती थीं। उनसे अलग होने के बाद वह गाने गाकर अपनी विरह वेदना प्रकट करती थीं। यह अलग बात है कि अपने जीवन में वह अपने पति से मिल नहीं सकीं और अंततः मृत्यु को प्राप्त हुईं। हालांकि वह अपने विरह गीतों के कारण आज भी जीवित हैं। उनकी आवाज़ और गीतों ने स्थानीय मिर्जापुर वासियों को खासा प्रभावित किया। यहां तक कि वे इस त्योहार के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
कजरी शब्द की उत्पत्ति हिंदी शब्द कजरा से हुई है, जिसे काजल भी कहते हैं। कजरी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की भी एक विधा है, जो बिहार और उत्तर प्रदेश में खासी लोकप्रिय है। कजरी मौसम के गीतों पर गायी जाती है मसलन चैती, होरी और सावनी।
परंपरागत तौर पर यह यूपी के बनारस, मथुरा, प्रयागराज तो बिहार के भोजपुर क्षेत्र में गाई जाती है।
यूपी टूरिज्म जिला प्रशासन के सहयोग से दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन मिर्जापुर के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में करता है। इसका समय होता है भादो माह की अक्षय तृतीया या अगस्त का महीना।
गंगा वॉटर रैली (प्रयागराज-मिर्जापुर-चुनार-वाराणसी)
ऐतिहासिक घाटों के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य को सहेजने के लिए गंगा वॉटर रैली बतौर एडवेंचर टूरिज्म विकसित हो चुकी है। यह आयोजन पूरी तरह रोमांच और मस्ती का होता है। प्रयागराज का बोट क्लब इसका आयोजन करता है। इसमें भाग लेने के लिए देश के कोने-कोने और विदेशों से भी खेलप्रेमी यहां आते हैं। नवंबर के महीने में होने वाली यह रैली प्रदेश में वॉटर स्पोर्ट्स का अपने किस्म का यह पहला आयोजन है। इसमें रोमांच के शौकीन गंगा नदी के जरिये प्रयागराज से मिर्जापुर-चुनार होते हुए वाराणसी तक का सफर तय करते हैं।
पर्व-त्योहार का कैलेंडर
त्योहार/आयोजन |
2016 |
2017 |
2018 |
2019 |
2020 |
गंगा महोत्सव |
11,13 नवम्बर |
11अक्टूबर - 03नवम्बर |
19-22 नवम्बर |
08-11 नवम्बर |
25-29 नवम्बर |
देव दीपावली |
14 नवम्बर |
04 नवम्बर |
23 नवम्बर |
12 नवम्बर |
30 नवम्बर |
ध्रुपद मेला |
04-07 मार्च |
21-24 फ़रवरी |
10-13 फ़रवरी |
01-04 मार्च |
18-21 फ़रवरी |
बुद्ध पूर्णिमा |
21 मई |
10 मई |
29 अप्रैल |
18 मई |
7 मई |
रामलीला राम नगर |
15 सितम्बर-15 अक्टूबर |
05 सितम्बर-05 अक्टूबर |
24 सितम्बर-24 अक्टूबर |
12 सितम्बर- 12 अक्टूबर |
01 सितम्बर-01 अक्टूबर |
संकट मोचन म्यूजिक फेस्टिवल |
26 अप्रैल - 01 मई |
15-20 अप्रैल |
04-09 अप्रैल |
23-28 अप्रैल |
12-17 अप्रैल |
नाग नथैया |
04 नवम्बर |
23 अक्टूबर |
11 नवम्बर |
31 अक्टूबर |
19 नवम्बर |
गंगा दशहरा |
14 जून |
03 जून |
24 मई |
12 जून |
01 जून |
नक्कटैया |
19 अक्टूबर |
08 नवम्बर |
27 अक्टूबर |
17 अक्टूबर |
04 नवम्बर |