• banner

लखनऊ

Rumi Darwaza

लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। यह हैरिटेज आर्क के मध्य में स्थित है।

हलचल भरा यह शहर नवाबी तहजीब, एतिहासिक विरासतें, स्वादिष्ट खान-पान और प्राचीन व आाधुनिक संस्कृति के अनूठे संगम के कारण प्रसिद्ध है। यहां प्राचीन औपनिवेशिक और प्राच्य वास्तुकला का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

  • क्षेत्रफल : 2.528 वर्ग किलोमीटर।
  • जनसंख्या : 36,47,834 (2001 की जनगणना के अनुसार)
  • ऊँचाई : समुद्र तल से 123 मीटर
  • मौसम : अक्टूबर-मार्च
  • वस्त्र (गर्मी) : सूती वस्त्रों
  • वस्त्र (शीतकाल) : ऊनी
  • भाषा : हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी
  • स्थानीय परिवहन : बस/टेम्पो/ऑटो रिक्शा/टैक्सी टोंगा/साइकिल रिक्शा
  • एसटीडी कोड : 0522

लेन्स के माध्यम से जानें लखनऊ को

भव्य लखनऊ

जानिए लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा को, विधान सभा की राजनीति को, ला मार्टिनियर की शिक्षा को, रूमी दरवाज़ा और छोटे इमामबाड़ा के इतिहास को, चिकनकरी की कारीगरी को, करिए सैर रेज़ीडेंसी की और उठाइए लुत्फ लखनऊ के नवाबों की महेमान

लखनऊ के बारे में

लखनऊ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र था और इससे पहले यह नवाबों की नगरी के रुप में जाना जाता था, जिससे इस शहर को अनूठी पहचान मिली।

  • अपनी अनूठे साहित्यिक परिवेश, स्वाद और प्रदर्शनकारी कलाओं के कारण इसकी दुनिया भर में अलग ही पहचान है।
  • यहां की शानदार इमारतों में इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा, कैसरबाग हेरिटेज जोन, रेजीडेंसी व दिलकुशा के साथ ही और भी बहुत कुछ है।
  • चिकन और जरदोजी कढ़ाई ने लखनऊ को वैश्विक फैशन में एक ब्रांड बना दिया है।
  • कबाब और बिरयानी यहाँ के दो बेहद स्वादिष्ट डिशेज़ हैं जो पर्यटकों को यहाँ आकर्षित करते हैं।
  • यह शहर तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न है तो, आप इन सुविधाओं का लाभ लेने के बाद ही कहीं और जाने का कार्यक्रम बनाएं।

आर्क के अलावा यह भी देखें

देवा शरीफ

देवा शरीफ लखनऊ से 25 किमी दूर बाराबंकी जिले में मशहूर धार्मिेक स्थान है। यह स्थान महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह का केंद्र माना जाता है, जो विश्व बंधुत्व की एक मिसाल हैं तथा जिनका अवध के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है।

  • हाजी वारिस अली शाह रहस्यमय शक्तियों के ज्ञाता माने जाते थे तथा वह सभी समुदायों के सदस्यों द्वारा श्रद्धेय हैं। इनके वालिद कुर्बान अली शाह भी एक सूफी संत थे। इनके श्रद्धालु दूर दराज से इनकी ‘मज़ार’ का दर्शन करने आते हैं जो ‘देवा शरीफ’ के नाम से मशहूर है।
  • इस पवित्र स्थल पर पूरे वर्षभर उनके अनुयायियों का आना जाना लगा रहता है। अक्टूबर-नवंबर माह में यहां संत की स्मृति में वार्षिक उर्स का आयोजन होता है, इस मौके पर एक बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसे देवा मेले के नाम से जाना जाता है। इस मेले के खास आकर्षण के रूप में मुशायरा, कवि सम्मेलन और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

अयोध्या

लखनऊ से 110 किमी दूर सरयू नदी के दाहिने किनारे पर स्थित अयोध्या भगवान राम के जन्म स्थान के रुप में प्रसिद्व एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है। सदियों तक यह सूर्यवंश के वंशज की राजधानी रहा है, जिसके मुख्य राजा के रुप में भगवान राम का नाम आता है। प्राचीनकाल में इसे कौशल देश के रूप में जाना जाता था। स्कंद तथा कुछ अन्य पुराणों में अयोध्या को भारत के सात पवित्र शहरों में स्थान मिला है।

  • अयोध्या को मुख्यतः मंदिरों की नगरी के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म, बौद्व धर्म, जैन धर्म और इस्लाम के अवशेष अभी भी यहां देखने को मिलते है।
  • जैन परंपरा के अनुसार पांच तीर्थकरों का जन्म अयोध्या में ही हुआ है। इसमें प्रथम तीर्थकर अदिनाथ (ऋशभदेव ) भी शामिल हैं। रामकोट, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और सूरजकुंड यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं।
  • सरयू एक पवित्र नदी है और प्राचीन शास्त्रों में भी इसका उल्लेख प्रमुखता से मिलता है। सैकेड़ों भक्त विभिन्न धार्मिक अवसरों पर यहां पवित्र स्नान के लिए वर्षभर आते हैं।

नैमिषारण्य

  • लखनऊ से 95 किमी दूर सीतापुर जिले में स्थित यह पवित्र स्थान वैदिक युग से ही हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थान रहा है।.
  • गोमती नदी के किनारे स्थित यह स्थान प्राचीन काल में कई संतों की तपस्या के कारण भी काफी प्रसिद्ध है।
  • यहाँ स्थित चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी, सूरजकुंड, पांडव किला, हनुमान गढ़ी और ललिता देवी मंदिर जैसे महत्वपूर्ण पूजा स्थल भक्तों को खास रूप से आकर्षित करते हैं।
  • तीर्थयात्रियों के लिए नैमिषारण्य की परिक्रमा का विशेष महत्व है। यह हर वर्ष मार्च माह में आयोजित की जाती है।

बिठूर

कानपुर के बाहरी इलाके में गंगानदी के तट पर बिठूर के छोटे से मंदिर में शांतिपूर्ण ढंग से दिन गुजारना एक अलग तरह का अनुभव हो सकता है।

  • बिठूर के बारे में कई किवदंतियां प्रसिद्व हैं। इसे सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा का वास होने के लिए जाना जाता है। कहा यह भी जाता है कि सीता ने निर्वासन के बाद यहां रहकर ही अपने जुड़वा बच्चों लव और कुश को जन्म दिया था।
  • आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहेब पेशवा के कार्यक्षेत्र के रूप में भी इस स्थान को जाना जाता है।
  • गंगातट से बिठूर में सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का भी अपना अलग अनुभव है। यहां वाल्मीकि आश्रम, ब्रहमवर्त घाट, ध्रुव टीला व नाना साहेब का महल भी दर्शनीय है।

नवाबगंज पक्षी विहार

  • लखनऊ-कानपुर राजमार्ग पर झील और हरे-भरे नयनाभिरामी दृश्यों के बीच स्थित यह स्थान पर्यटकों को खास रूप से आकर्षित करता है।
  • सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों के साथ साइबेरियन सारस से यह स्थान गुलजार हो जाता है।
  • इस प्रसिद्व पक्षी विहार को भारतीय व प्रवासी पक्षियों के घर के रूप में जाना जाता है। यहां हिरन पार्क, नौकायन और वाच टावर की व्यवस्था भी है।

दुधवा

लखनऊ से 265 किमी दूर लखीमपुर खीरी की तराई तलहटी में नेपाल बार्डर पर यह राष्ट्रीय पार्क स्थित है।

  • बाघों के संरक्षण के लिए इस स्थान का महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थान कुछ ऐसे क्षेत्रों में शामिल है जहां जैविक तंत्र के अनुरूप बाघों को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। दुधवा टाइगर रिजर्व के उत्तरी किनारे भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जबकि दक्षिणी सीमा सुहेली नदी से घिरी है।
  • दुधवा गहरे घने जंगल और चरागाह के बीच न सिर्फ बाघ बल्कि तेंदुआ, हिरण और हथियों के लिए अभ्यारण है।
  • यहां के अनुपम प्राकृतिक माहौल में 400 से अधिक प्रजाति के पक्षियों को भी देखा जा सकता है।

कतर्निया घाट

  • बहराइच जिले में लखनऊ से 200 किमी दूर यह स्थान दुधवा टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।
  • यह घाट नेपाल में बरदिया राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से जुड़ा हुआ है।
  • गिरवा और कोर्डिया नदी जो बाद में मिलकर घाघरा बनती है।
  • गिरवा नदी के ताजा पानी में डाल्फिन पाई जाती हैं।
  • यहां आने वालों के लिए बाघ, तेंदुआ और हिरण को उनके प्राकृतिक निवास स्थान में रहते हुए देखने का सुखद अनुभव हो सकता है।

लखनऊ का अवलोकन

वायु

लखनऊ का चैधरी चरण सिंह हवाई अड्डा (हजरतगंज से 15 किमी) सीधे दिल्ली, पटना, कोलकाता, मुंबई, वाराणसी, हैदराबाद और शारजाह, मस्कट, जेद्दा, दुबई के साथ नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है।

रेल

लखनऊ एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है, जो उत्तरी रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे के माध्यम से प्रमुख शहरों के साथ जुड़ा हुआ है। प्रमुख रेलवे स्टेशनों में चारबाग, लखनऊ जंक्शन, लखनऊ सिटी, ऐशबाग, बादशाह नगर, डालीगंज, अमौसी और महिबुल्लापुर हैं।.

रोड

लखनऊ कई राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से देश के सभी प्रमुख शहरों के साथ सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। मुख्य शहरों से लखनऊ की दूरी इस प्रकार हैं: कानपुर-79 किमी, अयोध्या-135 किमी, प्रयागराज-210 किमी व दुधवा नेशनल पार्क-238 किमी दूर है।

Lucknow Station
Lucknow Airport

यात्रा एजेंट

  • पर्यटन निदेशालय, सी-13, विपिन खंड, गोमती नगर
  • क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय, सी-13, विपिन खंड, गोमती नगर
  • पर्यटक स्वागत काउंटर अमौसी हवाई अड्डा
  • कुमाऊं मंडल विकास निगम, शाहनजफ रोड।
  • गढ़वाल मंडल विकास निगम, आर.सी. बहादुर मार्ग एम.पी. पर्यटन, गोमती नगर
Travel Desk

लखनऊ भोजन

  • कबाब - सीख / शामी, काकोरी / गिलावती / बिरयानी / जर्दा / शीरमल / चाट / समोसे / खस्ता / पूरी-सब्जी / कुलचे नहारि / लस्सी / दूध उत्पाद और मिठाई / शाही टुकड़ा / खीर / क़ुल्फ़ी / मलाई-मक्खन / पान
Lucknow Food

खरीदारी

शहर में मुख्य बाजारों में हजरतगंज (रविवार बंदी), अमीनाबाद (गुरुवार बंदी), चौक (गुरुवार बंदी), नरही (सोमवार बंदी), कैसरबाग (गुरुवार बंदी), आलमबाग (गुरुवार बंदी), अलीगंज (बुधवार बंदी), इंदिरा नगर (बुधवार बंदी), गोमती नगर (बुधवार बंदी) शामिल है। इसके साथ ही साप्ताहिक बाजार नक्खास (रविवार), सदर (शनिवार), निशातगंज (बुधवार) और अमीनाबाद (गुरुवार) में लगते हैं।

प्रमुख शॉपिंग मॉल में वेव, फन रिपब्लिक, आईनॉक्स, फीनिक्स, फीनिक्स पलासियो, सहारागंज, एसआरएस सिटी और विशाल मेगा मार्ट शामिल हैं। लखनऊ चिकन की कढ़ाई, ज़री वर्क, हस्तकला, चमड़े के पर्स और हाथ से तैयार किए जाने वाले जूते, खिलौनों, मिठाई और नमकीन के लिए जाना जाता है।

Lucknow Shopping

मेले और त्यौहार

होली, दशहरा, दीवाली, ईद-उल-जुहा, ईद-उल-फितर, शब-ए- बारात

विशेष त्योहार और लखनऊ के मेले:

जमघट ( दीवाली के बाद पतंग उड़ाने का त्योहार), बड़ा मंगल मेला (मई व जून में अलीगंज हनुमान मंदिर में), कार्तिक मेला, (डालीगंज, अक्टूबर-नवंबर) और लखनऊ महोत्सव (नवंबर 25 से दिसम्बर 5 )