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छिपे हुए खजानें

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सोनभद्र

  • यह वह प्राचीन भूमि है जहां महाभारत युग के प्रतीकों के अलावा प्रसिद्ध शिव द्वार और रेनुकेश्वर मंदिर आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।
  • प्रकृति प्रेमियों के लिए यहां लकहानिया दरी तथा मुक्ता फाल्स भी आकर्षण का केंद्र हैं।
  • यहां स्थित विजयघाट किला इस क्षेत्र के प्राचीन शासकों की ताकत का प्रतीक है।
  • क्षेत्र में पुरातन गुफा चित्रों की प्रचुरता है।

हस्तिनापुर

मेरठ जिले में स्थित, यह राजसी भव्यता और महाभारत युग के संघर्ष का मूक गवाह है।"

  • यह जैन श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है। यहां तीन जैन तीर्थंकर पैदा हुए थे।
  • महाभारत काल के पांचों पांडवों और द्रौपदी के मंदिर इस शहर के ऐतिहासिक महत्व को प्रतिपादित करते हैं।

कालिंजर

कालिंजर बांदा के करीब झांसी से लगभग 280 किमी की दूरी पर स्थित है। मध्ययुगीन काल के दौरान इस दुर्ग नगर का सामरिक महत्व था।

  • 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित कालिंजर दुर्ग, एक आकर्षक ऐतिहासिक स्थल है।
  • यहां की सुरम्य विंध्य पर्वतमाला एक लंबे समय के लिए आपकी स्मृति में घूमती रहेगी।
  • कथाओं के अनुसार, नीलकंठ मंदिर, उस जगह पर बनाया गया है, जहां भगवान शिव, सागर मंथन से उभरे जहर को पीने के बाद कुछ समय के लिए आराम करने के लिए ठहरे थे।

महोबा

छोटा सा यह शहर पहाड़ियों और घाटियों पर स्थित झीलों और मंदिरों के लिए जाना जाता है।

  • अभेद्य पहाड़ी किला और चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित मानव झील इंजीनियरिंग का उत्कर्ष नमूना है।
  • बुंदेला योद्धाओं की वीरता के किस्से आल्हा-उदल के गीतों में सुनाई पड़ते हैं।
  • रहिला में सूर्य मंदिर 9 वीं शताब्दी की एक अद्वितीय ग्रेनाइट संरचना है।
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बरुआ सागर

यहां एक पहाड़ी के ऊपर ऐतिहासिक किला है, जहां मराठों ने बुंदेलों से 1744 में युद्ध किया था।

  • यह झांसी के पास बेतवा नदी के तट पर स्थित है। लगभग 260 साल पहले बरुआ सागर ताल, ओरछा के राजा उदय सिंह द्वारा बनायी गई एक बड़ी झील के नाम पर है।

पारिछा

पारिछा शहर झांसी से 25 किमी दूर झांसी-कानपुर राजमार्ग पर स्थित है और यहां कालपी हो कर पंहुचा जा सकता है।

  • यह बेतवा नदी के किनारे एक सुन्दर स्थान है जहां पारिछा रिजर्वायर और बांध के सुरम्य दृश्य देखे जा सकते हैं। यह रिजर्वायर वाटर स्पोर्ट्स और जल क्रीडा के लिए लोकप्रिय है। बांध से आस-पास के सुन्दर और मनोहारी दृश्य दिखते हैं।

बिठूर

बिठूर गंगा नदी के किनारे उत्तर में कानपुर से 24 किमी दूर स्थित एक छोटा सा नगर है।

  • यह हिन्दू तीर्थों में एक प्रमुख स्थल है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवन श्री राम के पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी इस स्थान की बड़ी भूमिका रही है। इस सुरम्य स्थल पर देखने योग्य स्थानों में वाल्मीकि आश्रम, ब्रह्मावर्त घाट, पत्थर घाट, ध्रुव टीला, लव कुश मंदिर, नाना साहेब स्मारक और सिद्धिधाम आश्रम प्रमुख हैं।
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कालपी

जालौन जनपद में यमुना नदी के किनारे स्थित कालपी एक छोटा सा नगर है।

  • यहां एक प्राचीन किले के अवशेष और कई मंदिर पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त आस-पास के इलाकों में कई प्राचीन मकबरे भी देखे जा सकते हैं। देखने योग्य स्थलों में पातालेश्वर मंदिर और वेदव्यास मंदिर शामिल है। यह स्थान विभिन्न प्रकार की मिठाइयों के लिए भी प्रसिद्ध है।